भोपाल । प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव का घमासान चरम पर पहुंच गया है। भाजपा के साथ ही कांग्रेेस ने भी अपना पूरा दम लगा दिया है। दोनों पार्टियों का सबसे अधिक फोकस महापौर के प्रत्याशियों की जीत पर है।  नगरीय निकाय चुनाव में डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा और कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। दोनों दलों की बागियों को मनाने की कवायद फेल हो गई। 16 में से 6 नगर निगमों में 7 ऐसे उम्मीदवार चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं, जिन्होंने महापौर की कुर्सी के लिए पार्टी से बगावत की है। इनमें कांग्रेस के 4 और भाजपा के 3 नेता हैं। कांग्रेस महिला मोर्चा ग्वालियर की पूर्व जिला अध्यक्ष रुचि गुप्ता और सतना में कांग्रेस के सईद अहमद ने तो चुनाव लडऩे के लिए पार्टी ही बदल ली। अहमद बसपा के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। रुचि आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रही हैं। हालांकि, छिंदवाड़ा में भाजपा से बागी हुए जितेंद्र शाह को भाजपा ने मना लिया है, लेकिन वे चुनाव मैदान में बने रहेंगे। पहले उम्मीदवार चयन में माथापच्ची चली। अब कई बागियों के मैदान में आने से मुसीबतें बढ़ी हुई हैं।
बागियों की तरफ से नामांकन भरे जाने के बाद पार्टी की ओर से उन्हें मनाने की हरसंभव कोशिश की गई। इसमें कुछ हद तक सफलता भी मिली, लेकिन जो तस्वीर निकलकर सामने आई है, वह बता रही है कि भाजपा और कांग्रेस की प्रेशर पॉलिटिक्स बागियों पर ज्यादा असर नहीं डाल पाई है। अब देखना होगा कि नगरीय निकाय चुनाव में सियासी दलों के बागी भाजपा और कांग्रेस का गणित कितना बिगाड़ पाते हैं। अब दोनों ही दलों के सामने बागियों को पार्टी से बाहर करने का आखिरी विकल्प है। यह चुनाव दोनों के लिए इसलिए भी अहम है, क्योंकि अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले इसे सेमीफाइनल माना जा रहा है।


मैदान में 145 महापौर उम्मीदवार
तीसरे दल और निर्दलीय के तौर पर बड़ी संख्या में बागी अब भी मैदान में हैं। नामांकन वापसी के आखिरी दिन भाजपा और कांग्रेस की बागियों को मनाने की कोशिशों के बावजूद सिर्फ 32 महापौर उम्मीदवारों ने नाम वापस लिए, जबकि 4 उम्मीदवारों के नामांकन त्रुटि के कारण निरस्त कर दिए गए। अब प्रदेश की 16 नगर निगम में महापौर पद के लिए कुल 145 उम्मीदवार चुनाव मैदान में ताल ठोंकते नजर आ रहे हैं।


ग्वालियर में आप प्रत्याशी ने बढ़ाई चिंता
ग्वालियर में महापौर पद के लिए 7 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं। इस बार नगर निगम ग्वालियर का महापौर पद सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित है। भाजपा से सुमन शर्मा और कांग्रेस से डॉ। शोभा सतीश सिकरवार में आमने-सामने का मुकाबला है। टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेस महिला मोर्चा की पूर्व जिलाध्यक्ष व प्रदेश महिला मोर्चा की सदस्य रहीं रुचि गुप्ता ने पार्टी से बगावत कर ली। वह आम आदमी पार्टी की सदस्यता लेकर चुनाव मैदान में उतर गई हैं।


देवास में कांग्रेस को बागी से खतरा
देवास में महापौर के चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। यहां भाजपा से गीता अग्रवाल और कांग्रेस से विनोदिनी व्यास उम्मीदवार हैं, लेकिन प्रदेश कांग्रेस महासचिव शिवा चौधरी की बहू मनीषा चौधरी के निर्दलीय मैदान में उतरने से खेल बिगड़ सकता है। शिवा ने संगठन से मनीषा के लिए टिकट मांगा था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। नाम वापसी के अंतिम दिन तक संगठन ने उन पर नामांकन वापस लेने का दबाव बनाया, लेकिन उन्होंने मैदान नहीं छोड़ा है। देवास में महापौर पद के लिए कुल 6 उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा-कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी से चाना ज्ञानेश, बसपा से निकिता सूर्यवंशी भी मैदान में हैं।


रतलाम में भाजपा को बागी से टेंशन
नगर निगम महापौर पद के लिए भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है। महापौर पद के लिए यहां कुल 7 उम्मीदवार मैदान में हैं। जिसमें भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे अरुण राव भाजपा के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। निर्दलीय महापौर चुनाव लड़ रहे राव तीन बार पार्षद रह चुके हैं। वर्तमान में वह भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी थे। जिन्हें पार्टी द्वारा वार्ड क्रमांक 11 में पार्षद पद के लिए टिकट नहीं दिया गया। इससे नाराज अरुण राव ने बगावत कर चुनावी ताल ठोंक दी।


सतना में कांग्रेस को बसपा से खतरा
सतना में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। यहां भाजपा के योगेश ताम्रकार और कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा के अलावा बसपा से सईद अहमद मैदान में हैं। सईद वर्ष 1998 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। सईद सतना में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मंत्री रह चुके हैं। सईद कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे, लेकिन यहां कांग्रेस ने विधायक को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इस पर सईद ने बसपा जॉइन कर ली और मैदान में कूद पड़े। सईद कांग्रेस के कद्दावर नेता व हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल रहे दिवंगत बैरिस्टर गुलशेर अहमद के पुत्र हैं।


कटनी में भाजपा को अपनों से परेशानी
कटनी में महापौर पद के लिए 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। यहां भाजपा की टेंशन बागी प्रीति सूरी बढ़ा रही हैं। वे पार्षद रहने के साथ ही निर्दलीय फार्म भरने के पहले महिला मोर्चा जिला मंत्री के पद पर थीं। महापौर पद के लिए चुनाव मैदान में भाजपा से ज्योति बीना दीक्षित, कांग्रेस पार्टी से श्रेहा रौनक खंडेलवाल, आम आदमी पार्टी से शशि प्रभा तिवारी, बहुजन समाजवादी पार्टी से अंजलि, समाजवादी पार्टी से अनीता भी किस्मत आजमा रही हैं। कटनी में महापौर का चुनाव लडऩे के लिए 14 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था। जबकि निर्दलीय प्रत्याशी उषा पांडेय और एक अन्य ने अपना नामांकन वापस लिया है।


छिंदवाड़ा में कांग्रेस नहीं मना पाई बागी को
यहां से महापौर पद के लिए 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। चुनाव लडऩे के लिए 13 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था। कांग्रेस के राघवेंद्र शाह, संजय परतेती, गुरु प्रसाद धुर्वे ने महापौर का अपना नामांकन वापस ले लिया, जबकि पार्टी से बागी हुए बालाराम परतेती अब भी मैदान में डटे हैं। यहां से कांग्रेस ने विक्रम अहाके को उम्मीदवार बनाया है। इसी प्रकार भाजपा की टेंशन भाजपा के बागी प्रत्याशी जितेंद्र शाह भी बढ़ा रहे थे। लेकिन 26 जून को भाजपा उन्हें मनाने में कामयाब हो गई। ऐसा बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब शाह से फोन पर बात की, तब जाकर वे माने। जितेंद्र शाह बीजेपी के कार्यालय मंत्री रहे चुके हैं। ठीक चुनाव से पहले जितेंद्र शाह भाजपा किसान मोर्चा के कार्यालय मंत्री भी थे। महापौर की उम्मीदवारी में सबसे पहले जितेंद्र शाह का नाम तय हुआ था। इसके बाद पार्टी ने निगम उपायुक्त अनंत धुर्वे को भाजपा की ओर से महापौर का प्रत्याशी घोषित कर दिया।