नई दिल्ली । उ.प्र. विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 125 उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित कर दी है। इसमें 40 फीसदी युवा और 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देकर कांग्रेस ने अन्य राजनैतिक दलों के सामने दबाब बनाने का काम कर दिया है। उ.प्र. में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। पिछले 35 सालों से उ.प्र. में कांग्रेस संगठनात्मक रुप से कमजोर होती चली गई। 2022 के विधान सभा चुनाव के लिए प्रियंका गांधी ने कांग्रेस की बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने में बड़ी मेहनत की है।
'मैं  लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे तथा युवाओं को कांग्रेस से जोड़कर नया संगठन बनाने का जो प्रयास प्रियंका गांधी ने किया है। वह उ.प्र. में सफल होता दिख रहा है। पहली सूची में जो 125 उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है। उसमें प्रियंका ने जो बोला था वह करके दिखा भी दिया है। कांग्रेस की वर्तमान स्थिति में यह संभव था। प्रियंका की सक्रियता ने यूपी में कांग्रेस को एक प्रभावी न्यूज़ मेकर तो बना ही दिया है।  मीडिया में अब उन महिलाओं की भी भरपूर चर्चा है जिन्हें प्रियंका ने स्त्री अस्मिता की योद्धा के तौर  चुनावी मैदान में  उतारा है।
वहीं सपा के लिए उ. प्र. चुनाव में बेहतर समीकरण होते भी मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। सपा के साथ गठबंधन करने के लिए क्षेत्रीय दलों की होड़ लगी है। सपा को सीटों के बंटवारे में काफी नुकसान होने की संभावना बन रही है। भाजपा में मंत्री भगदड़ का लाभ सपा को मिल रहा है। टिकट बंटवारे में असंतोष के चलते सपा में भी जिन्हें टिकट नहीं मिलेगी। वह कांग्रेस का दामन थाम सकते है।
उ.प्र. में पिछले 6 माहों में प्रियंका गांधी और कांग्रेस ने आम जनता के बीच कांग्रेस की नई पहचान बनाते हुए संगठन खड़ा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। नेहरू-गांधी परिवार की पूरी पीढ़ी के रूप में प्रियंका गांधी की लोकप्रियता चरम पर है। पिछले माहों में संगठन और कार्यकर्ताओं की नई फौज कांग्रेस से जुड़ी है। उ.प्र. विधानसभा के चुनाव में भाजपा-सपा और कांग्रेस ही मुख्य दौड़ में शामिल दिख रही है। इस चुनाव में बसपा को सबसे बड़ा नुकसान होता दिख रहा है। बसपा प्रमुख मायावती की चुप्पी ने उन्हें भाजपा की बी टीम बना दिया है। दलित उनसे दूर होता जा रहा है। उ.प्र. के प्रमुख परिणाम आश्चर्यजनक होंगे। कांग्रेस भी अब उत्तरप्रदेश की रजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका में आगे बढ़ तो रही है।