गुना ।  दशहरा मैदान पर चले छह दिवसीय धार्मिक महाकुंभ का समापन बुधवार को बाग बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री के दिव्य दरबार के साथ हुआ। इस दौरान उन्होंने दरबार में लोगों की अर्जी और समस्याएं सुनीं। कथा के दौरान केंद्रीय मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया भी दशहरा मैदान पहुंचे। सिंधिया मंच पर पहुंचने के बाद दो बार पं. धीरेंद्र शास्त्री के पास पहुंचे और उनसे चर्चा की। इस मौके पर उनके साथ पंचायत मंत्री महेंद्रसिंह सिसोदिया, पीएचई राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह यादव, पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री सुरेश रांठखेड़ा, अशोकनगर विधायक जजपालसिंह जज्जी, भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मेंद्रसिंह सिकरवार, जिपं अध्यक्ष अरविंद धाकड़ आदि मौजूद रहे।

दोपहर 2.30 बजे दशहरा मैदान पहुंचे पं. शास्त्री तीन घंटे तक दशहरा मैदान पर मौजूद रहे। इस दौरान गंभीर, हास्य-परिहास तो कभी सामान्य मुद्रा में धीरेंद्र शास्त्री नजर आए। पहली बार गुना आने वाले पं. शास्त्री ने यहां के लोगों को बार-बार गुना के पागलों कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि गुना के लोगों का राम भक्ति के लिए पागलपन अदभुत है, इसे बरकरार रखें। शास्त्री ने दिव्य दरबार से एक बार फिर भारत को हिंदु राष्ट्र बनाने की मंशा का जिक्र किया।
कैंट के दशहरा मैदान पर पांच मई से शुरू हुए धार्मिक महाकुंभ का आखिरी दिन बुधवार अहम था। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बाग बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री को मंगलवार देर रात ही गुना पहुंचना था, लेकिन किसी वजह से सुबह लगभग पांच बजे पहुंच सके। बुधवार सुबह उन्होंने श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ में पूर्णाहूति दी। इसके बाद सेवादार और बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने वाले कई लोगों के घर भी पं. शास्त्री पहुंचे। कैंट क्षेत्र से दशहरा मैदान आते हुए पं. शास्त्री एक खुली जीप में सवार हुए, जहां नागरिकों ने पुष्पवर्षा की। कार्यक्रम के दौरान पंडाल में भारी भीड़ जुटी। कई लोग पंडाल के गेट पर खड़े रहे, जिन्हें अंदर जाने से रोका जाता रहा। हालांकि, तीखी धूप और सीमित जगह के बावजूद लगभग तीन लाख लोगों ने दशहरा मैदान, बीज निगम और आसपास के क्षेत्रों में खड़े रहकर भी दिव्य दरबार में अपनी अर्जी लगाई।

युवक ने मंच पर पहुंचकर किया हंगामा

कार्यक्रम में पहुंचे केंद्रीय मंत्री सिंधिया मंच से जब भाषण दे रहे थे, तभी एक शख्स पं. धीरेंद्र शास्त्री के पास पहुंचा और चिल्लाने लगा, जिसे सुरक्षाकर्मी बाहर ले गए। सिंधिया ने उसे आराम से ले जाने को कहा।

पुलिस इंस्पेक्टर, सेवादार, नि:संतानों ने लगाई अर्जी

दशहरा मैदान पर लगने वाला दिव्य दरबार लगभग आधा घंटे देरी से शुरू हुआ। बावजूद इसके अर्जी लगाने वालों का सिलसिला लगातार जारी रहा। इस दौरान धरनावदा थाने में पदस्थ महिला उप निरीक्षक, गुना, बजरंगगढ़, नैनसुहाया, मोहम्मदपुर, बदरवास सहित राजस्थान से आए लोगों ने भी अर्जी लगाई। शुरुआत में पं. शास्त्री ने अपने चिर-परिचित अंदाज में अर्जी लगाने वालों को नाम लेकर बुलाया। कभी कपड़ों की पहचान से, तो कभी जगह चिन्हित कर उन्होंने लोगों को अपने पास आने कहा। कैंट निवासी एक महिला को बुलाकर उन्होंने पहले ही कह दिया कि वह कोई अर्जी लगाने वाली नहीं है। महिला ने भी पं. शास्त्री की बात का समर्थन किया और अपने पति का जन्मदिन होने पर उन्हें दर्शन करने की बात कही। उन्होंने महिला के पति को भी पंडाल से उठकर अपने पास बुलाया और उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देकर धर्म पट्टिका पहना दी। सेवादारों की टीम में शामिल एक युवती से राखी भी बंधवाई।

अंग्रेजी में भी बात की, बार-बार कहा ‘ठठरी के बरे’

दशहरा मैदान पर लोगों से मुखातिब होने के दौरान पं. धीरेंद्र शास्त्री ने संस्कृत के श्लोक सुनाए, कई मंत्र भी बोले। इसके बाद जब लोगों से संवाद किया, तो अंग्रेजी भी बोलते नजर आए। कुछ लोगों को माय डियर कहकर संबोधित किया। हनुमानजी को लार्ड हनुमान वेरी पावरफुल कहा, तो लोग भी हंसने लगे। इसके अलावा जब भी उन्होंने भीड़ से सामूहिक संवाद किया, तो कई बार ठठरी के बरे कहा, जिसे सुनकर पंडाल ठहाकों से गूंज उठा।

चमत्कारों के चक्कर में रहे, तो बहुत घाटा खाओगे, हमारे चक्कर में मत पड़ना

दिव्य दरबार में लोगों की अर्जी सुन रहे पं. धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री ने कई बार जिक्र किया कि वह एक साधारण व्यक्ति हैं, उन्हें चमत्कारिक पुरुष न माना जाए। चुटीले अंदाज में पं. शास्त्री ने कहा कि मेरे चक्कर में मत पड़ना, हनुमानजी की शरण में जाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि चमत्कारों के चक्कर में रहेंगे, तो बहुत घाटा खाएंगे। लोगों को ऐसा भगवान चाहिए कि नारियल मुंह में डालें और हाथ में फोड़कर निकले, ऐसा नहीं होता है। चमत्कार बालाजी की मर्जी से होते हैं।

हनुमानजी को मानना छोड़ दो या सब कुछ हनुमानजी पर छोड़ दो

पं. धीरेंद्र शास्त्री ने पंडाल में मौजूद लोगों से आह्वान किया कि वह हनुमानजी पर भरोसा करें। दो टूक अंदाज में शास्त्री बोले कि या तो हनुमानजी को छोड़ दें या फिर सब कुछ हनुमानजी पर छोड़ दें। ऐसा न हो कि सात दिन राधे-राधे बाद में आधे-आधे। उन्होंने भक्ति और विश्वास का संबंध बताते हुए कहा कि जिस तरह वर्षा से बचने के लिए छाता की आवश्यकता होती है, उसी तरह जीवन की परेशानियों, संकटों से बचने के लिए भगवान की छत्रछाया जरूरी है।

एक दिन आएगा, भारत हिंदु राष्ट्र बनेगा

हिंदू राष्ट्र की बात कहकर कई नेताओं, पार्टियों और संगठनों के निशाने पर आए पं. धीरेंद्र शास्त्री अपनी बात पर अडिग हैं। उन्होंने गुना के दशहरा मैदान से दोहराया कि एक दिन ऐसा आएगा, जब भारत हिंदु राष्ट्र बनकर रहेगा। उन्होंने इग्लैंड की दिवंगत रानी ऐलिजाबेथ का जिक्र भी गुना में किया। उनके मुताबिक लंदन में उन्हें पहले साधारण समझा गया, लेकिन एक दिन क्वीन से मुलाकात करने के दौरान उन्होंने कई राज खोल दिए।

राम जैसे बनो, दुनिया में पूजा होगी

पं. शास्त्री ने श्रीराम कथावाचक पुंडरीक महाराज को अपना बड़ा भाई बताया। साथ ही भगवान राम और रामायण के संवाद का जिक्र करते हुए कहा कि जिन्होंने राम के चरित्र को जीवन में उतारा है, उनका ही चरित्र निर्मल हुआ है। जिस तरह मनुष्य का चरित्र राम की तरह होता है, वह कभी फेल नहीं होता।

मां बीस भुजा देवी मंदिर प्रोजेक्ट का सिंधिया ने किया लोकार्पण

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बजरंगगढ़ स्थित मां बीस भुजा देवी मंदिर को मातृलोक बनाना है। इसके लिए मां बीस भुजा देवी सेवा समिति ने कार्ययोजना तैयार की है। दिव्य दरबार के दौरान करीब चार बजे पहुंचे केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस प्रोजेक्ट का औपचारिक लोकार्पण किया। आयोजक नीरज निगम ने प्रोजेक्ट की जानकारी दी।

कार्यक्रम की झलकियां


- कुछ लोगों द्वारा बार-बार पर्दा हटाने पर पं. शास्त्री बोले कि इसे ठीक रहने दें अन्यथा नीरज का खर्चा ज्यादा हो जाएगा।- पंडाल में कुछ बच्चों सहित आधा दर्जन लोग पं. शास्त्री का हाथ से बनाया चित्र लेकर आए थे, जिनमें कुछ लोगों को शास्त्री ने अपने पास भी बुलाया।
- शुरुआत में माईक से आवाज कम आने पर पं. धीरेंद्र शास्त्री ने बंदोबस्त देखने वाले कर्मचारी को अपने ही अंदाज में खरी-खोटी सुना दी।
- एक महिला पुलिसकर्मी को बुलाते हुए पं. शास्त्री ने कहा कि उन्हें इसलिए बुलाया गया है, क्योंकि वे बार-बार मन में ही मुझे भला-बुरा कह रही थीं।
- परिसर में भीड़ इतनी ज्यादा हो गई थी कि महिलाओं को बाहर निकलने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
- सिंधिया के आगमन के दौरान पं. धीरेंद्र शास्त्री राजकुमारी नामक महिला की अर्जी सुन रहे थे, तब उन्हें कुछ देर के लिए रुकना पड़ा। नेताओं के स्वागत, सत्कार और भाषण का सिलसिला खत्म होने पर उन्होंने दोबारा राजकुमारी से बातचीत शुरु की। जिन्हें संतान प्राप्त की लालसा थी, तो पं. शास्त्री ने उन्हें आशीर्वाद दिया।