जबलपुर ।  शहपुरा-भिटौनी के बीच रेलवे ट्रैक बदलने के दौरान निकाली गईं पटरियों की चोरी की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है। आरपीएफ की जांच में सामने आया कि चोरी गईं पुरानी पटरियाें में से अधिकांश को भोपाल के मंडदीप की एक फैक्ट्री में बेचा गया। इसके बाद जांच टीम मंडदीप पहुंचकर फैक्ट्री से पटरियां को जब्त कर ले आया गया है, जो लगभग 10 टन से ज्यादा हैं। इधर पश्चिम मध्य रेलवे की विजलेंस की जांच में इंजीनियरिग विभाग के नरसिंहपुर में तैनात एईएन की संलिप्तता मिली है जिसके बाद पश्चिम मध्य रेलवे जोन के आला अधिकारियों के बीच एईएन से लंबी पूछताछ की गई। इस दौरान जोन के इंजीनियरिंग विभाग के मुखिया भी मौजूद रहे। इधर इस पूरे मामले में पमरे जोन के महाप्रबंधक गिरीश गुप्ता खुद नजर रहे हुए हैं।

चोरी की पटरियां भोपाल से आईं जबलपुर

आरपीएफ जबलपुर ने रेलवे ट्रैक से चोरी गईं लगभग 20 टन से ज्यादा पुरानी पटरियों में से लगभग दो से तीन टन माल पहले ही जब्त कर लिया था। शेष माल तक पहुंचने के लिए इंजीनियरिंग विभाग के ठेकेदार सोमू श्रीवास्तव के साथ ट्रक ड्राइवर और पटरी खरीदने वाले व्यक्ति से लंबी पूछताछ की गई, जिसमें सामने आया कि पटरियों को यहां से चोरी कर भोपाल के मंडदीप की एक फैक्ट्री तक पहुंचा दिया है। इतना ही नहीं इन पटरियों को जबलपुर से भोपाल तक ले जाने में रेलवे से जुड़े लोगों और कबाडियों को हाथ था। कबाड़ के बीच में रखकर इन्हें वहां पहुंचाया गया। अब तक आरपीएफ इन्हें जब्त कर जबलपुर ले आई है तो इसे बेचने वालों की सांसे बढ़ गई हैं। इस मामले में रेलवे के तीन कर्मचारियों की संलिप्तता मिली थी, जिसके प्रमाण भी सामने आ गए हैं।

साख बचाने बचा रहे अधिकारी

सूत्र बताते हैं कि एक ओर जहां ट्रैक से पुरानी पटरियां चोरी गईं तो वहीं ट्रैक में भी पुरानी पटरियां ही लगाई गईं। इस मामले में भी नरसिंहपुर एईएन से भी पूछताछ हुई है। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम से जबलपुर रेल मंडल और पश्चिम मध्य रेलवे जोन के इंजीनियिंग विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार की खबर रेलवे बोर्ड तक जा पहुंची है। इसके बाद मंडल और जोन के आला अधिकारी, विभाग की साख बचाने के लिए इस मामले को दबाने में भी लगे हैं। यहीं वजह है कि अभी तक रेलवे की ओर से कोई भी कर्मचारी गिरफ्तार नहीं किया गया है। इधर जोन के वरिष्ठ अधिकारी भी इंजीनियरिंग विभाग से जुड़े हैं, जिससे कर्मचारियों को बचाने में जांच एजेंसी भी लगी हैं।