नई दिल्ली । बुधवार की शाम जब चंद्रमा आसमान में निकलेगा तो वह बहुत अनोखा होगा। वह साल के बाकी दिनों से ज्यादा बड़ा और ज्यादा चमकदार नजर आएगा। इसे जुलाई सुपरमून या बक मून कहा जाता है। ऐसा एक खगोलीय घटना की वजह से होगा। दरअसल इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा। उसकी दूरी धरती से सिर्फ 3,57,264 किलोमीटर रह जाएगी। सुपरमून उस वक्त करीब 14 फीसदी बड़ा दिखेगा और उसकी चमक 30 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ जाएगी।
चंद्रमा 13 जुलाई को वैसे तो पूरे 24 घंटे तक साल के बाकी दिनों से ज्यादा बड़ा और चमकीला नजर आएगा। 12-13 जुलाई की आधी रात को 12।08 बजे यह सबसे विशाल होगा। इस दौरान चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा। अगर आप इस वक्त इसे नहीं देख पाते तो बाद में भी इसका नजारा किया जा सकता है। अगले करीब तीन दिनों तक ये पूर्ण चंद्रमा की तरह दिखेगा। इस साल पिछला सुपरमून 14 जून को दिखा था, जिसे स्ट्राबेरी मून कहा गया था।
चंद्रमा जब आसमान में उदय होता है या अस्त होता है, तो उस वक्त वह ज्यादा बड़ा क्यों नजर आता है, यह सवाल खगोल विज्ञानियों के लिए अब तक पहेली बना हुआ है। इस बारे में नासा के वैज्ञानिकों ने एक संभावित व्याख्या यह दी है कि हम अपनी दृष्टि की रेखा के भीतर वस्तुओं के सापेक्ष आकार की तुलना करते हैं। नासा ने पिछले साल एक ब्लॉग में कहा था कि हो सकता है कि शायद पेड़, पहाड़ और इमारतें हमारे दिमाग में ऐसा भ्रम पैदा करती हों कि चंद्रमा उस वक्त अधिक करीब और बड़ा हो गया है।
हालांकि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी कहा था कि यह सही सटीक नहीं है, क्योंकि अंतरिक्ष से भी चंद्रमा उदय या अस्त होते समय बड़ा नजर आता है, जबकि वहां तो पेड़, पहाड़ जैसी कोई चीज नहीं होती। बहरहाल, इस पहेली में मत उलझिए कि चंद्रमा शाम या सुबह के समय ज्यादा बड़ा क्यों नजर आता है। आप बस बुधवार को चंद्रमा को निहारिए क्योंकि इस पूरे साल में इससे बड़ा और चमकीला चांद आपको फिर नहीं दिखेगा।