शिवपुरी ।  2 मई को शाम 5.30 बजे तक मैं अपने दोस्त के साथ बाजार में घूम रहा था। बाजार में तब तक सब कुछ सामान्य ही लग रहा था। वापस होस्टल आए ही थे कि शाम को 6 बजे पता चला कि कफ्र्य लगा दिया गया है। मणिपुर में इस तरह की घटनाएं आम हैं, लेकिन इस बार दंगा बहुत ज्यादा भड़क गया। हमारे होस्टल के 500 मीटर की दूरी पर गोलियां चल रही थीं, धमाकों की आवाज आ रही थीं। हम रात में लाइट नहीं जलाते थे कि कहीं दंगाईयों को पता न चल जाए कि होस्टल में कोई है। तीन रातें बिना बिजली जलाए काटीं। वहां पर होस्टल में जिंदगी थी तो वहां से चंद मीटर की दूरी पर मौत थी। यह कहना है इंफाल से शिवपुरी वापस लौटकर आए करैरा के मनोज पाल का। मनोज मध्यप्रदेश के अन्य छात्रों के साथ मणिपुर की राजधानी इंफाल के खुमान लंपक स्टेडियम के होस्टल में फंसे हुए थे। गुरुवार की सुबह मनोज की घर वापसी हुई। मनोज सुबह इंदौर से शिवपुरी अपने दीदी-जीजाजी के पास पहुंचा। इसके बाद यहां से करैरा के लिए रवाना हुआ। मनोज के पिता आइटीबीपी में पदस्थ हैं। वहां के हालातों के बारे में मनोज ने बताया कि तीन मई को सुबह हमने कैंपस से थोड़ी दूरी पर हलचल देखी। जब बाहर झांककर देखा तो फायरिंग हो रही थी। हमें बताया गया कि आप लोगों पर भी हमला हो सकता है। हालांकि असम राइफल्स का बेस कैंप होस्टल के पीछे ही है। अधिकारियों ने कहा कि यहां फोर्स है इसलिए दंगाई नहीं आएंगे, लेकिन कई बार उन्होंने यहां तक पहुंचने का प्रयास किया। हमें कहा गया था रात में लाइट मत जलाना और आवाज मत करना जिससे लगे कि होस्टल खाली है। तीन रात ऐसी ही गुजार दीं। कई साथी बहुत डर गए थे। इंटरनेट बंद था और कई बार फोन तक नहीं लगता था। ऐसे में सभी मिलकर एक-दूसरे की हिम्मत बढ़ाते थे। 4 मई को हमें चेतावनी दे दी गई थी कि यहां हमला हो सकता है।

इंदौर पहुंचते ही पुलिस ने खिलाया खाना, घर तक भेजने की व्यवस्था

मनोज ने बताया कि जैसे ही हम इंदौर पहुंचे तो वहां पुलिस अधिकारी आए थे। उन्होंने हमें खाना खिलवाया और सभी लोगों की घर पहुंचने की व्यवस्था भी की। इंफाल में हमें खाना तो मिल रहा था, लेकिन ठीक से नहीं मिल पा रहा था। राशन खत्म हो रहा था इस कारण मेन्यु बड़ा सीमित हो गया था। बहरहाल सरकार ने काफी मदद की। मध्यप्रदेश सरकार ने हमसे 6 मई को ही संपर्क कर लिया था और 8 को टिकट भी दे दिए थे। दूसरी ओर मणिपुर सरकार ने भी पूरी सुरक्षा मुहैया कराई। जनपद अध्यक्ष पति गौरव पाल ने हमारी बात ज्योतिरादित्य सिंधिया तक पहुंचाई।