भोपाल। कारम बांध में जनता की गाढ़ी कमाई के 305 करोड़ रुपए बर्बाद होने और 18 गांवों की 22 हजार जिंदगियों को दांव पर लगाने वाले जल संसाधन विभाग के मंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए था, मगर वही पहले बचाव फिर जवाब का उपदेश देकर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि प्रश्र सिर्फ 305 करोड़ रुपए के बांध के पहली ही बारिश में फूट जाने का नहीं है, प्रश्न यह भी है कि अनियमतताओं और भ्रष्टाचार के कारण दिल्ली की जिस एएनएस कंस्ट्रक्शन कंपनी का लाइसेंस ही 2016-17 में रद्द कर दिया गया था, उसी कंपनी को 305 करोड़ के निर्माण का ठेका देकर, बिना गुणवत्ता जांचे ही भुगतान कैसे कर दिया गया। यह घोटाला सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि राजनीतिक संरक्षण में हुआ भ्रष्टाचार है, जिसकी समुच्चित जांच की जानी चाहिए।
माकपा ने कहा है कि कोरोना से पहले सामने आए तीन हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले में भी कारम बांध का जिक्र आया था। जिस ईडी का भाजपा अब अपने विरोधियों के लिए इस्तेमाल कर रही है, उसी ईडी ने इस घोटाले में एक कंपनी की ओर से 93 करोड़ की रिश्वत बांटने की बात कही थी। इस घोटाले में मंत्री और अफसरों के लिप्त होने की बात सामने आई थी। तब कारम बांध परियोजना को लेकर भी राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने प्रकरण दर्ज किया था, जिसे बाद में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि इतने बड़े घोटाले और 22 हजार नागरिकों की जिंदगियों को दांव पर लगाने वाले आपराधिक और भ्रष्ट मामले की जांच कर दोषियों को सजा देने की जरूरत है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि जल संसाधन मंत्री भी अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकते हैं। पार्टी ने मंत्री तुलसी सिलावट से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तुरंत इस्तीफा देने की मांग की है।