इस बार भी बार झारखंड में मानसून के देरी से आने की संभावना है। बंगाल की खाड़ी के रास्ते मानसून केरल होते हुए देश के तटीय क्षेत्रों में प्रवेश करता है। इस बार केरल में चार दिन की देरी से पहुंचने का पूर्वानुमान है। आमतौर पर एक जून तक मानसून केरल पहुंच जाता है लेकिन इस बार चार जून तक पहुंचने की संभावना है। इसका असर झारखंड में भी होगा। झारखंड में मानसून 14 से 15 जून तक प्रवेश कर जाता है लेकिन इस बार चार से पांच दिनों की दूरी से 18 से 20 जून तक राज्य में प्रवेश करने की संभावना है। इसका सीधा असर किसानी पर पड़ेगा। देरी से मानसून आने के चलते वर्षा सामान्य से कम होने की संभावना होती है। पिछले साल 2022 में भी छह दिनों की देरी से 18 जून को मानसून ने झारखंड में प्रवेश किया था। मौसम विज्ञान केंद्र का पूर्वानुमान है कि अबकी बार भी मानसून 18 से 20 जून तक राज्य में प्रवेश करेगा। जबकि झारखंड में 12 जून को मानसून प्रवेश की बात कही जा रही थी।

छाए रहेंगे आंशिक बादल

मौसम विज्ञानी इस लेटलतीफी का बड़ा कारण मौसम परिवर्तन को बता रहे हैं। वहीं, मौसम विज्ञान केंद्र ने राज्य के उत्तर पूर्वी, दक्षिण पूर्वी भागों में शाम को आंशिक बादल के साथ गर्जन वज्रपात और 30 से 40 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से सतही हवा बहने को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है। जबकि उत्तर पश्चिमी, दक्षिणी व निकटवर्ती मध्य भागों में हीट-वेव का असर देखने को मिलेगा। यह स्थिति 24 मई तक देखने को मिलेगी।

देरी हुई तो किसानी होगी प्रभावित

राज्य में जब भी मानसून देरी से आया है, सामान्य से कम वर्षा हुई है और इसका सीधा असर किसानी पर पड़ा है। दरअसल राज्य में मानसून में 1022.9 मिमी वर्षा को सामान्य माना जाता है। मौसम विज्ञान केंद्र के पिछले 9 वर्ष के आंकड़ों को देखें तो सात वर्ष यहां मानसून देरी से पहुंचा है जबकि 2016 व 2021 को छोड़ दें तो हरेक बार सामान्य से कम वर्षा हुई है। 2018 में 25 जून को मानसून पहुंचा था और उस बार सबसे कम 784.4 मिमी वर्षा हुई थी। इस बार भी ऐसी संभावना बन रही है। ऐसे में किसानों की परेशानी बढ़ सकती है।