वाराणसी, 26 साल पहले न्यायालय में दाखिल कमीशन की रिपोर्ट में प्राचीन मंदिर के भग्नावशेष का दावा किया गया था। बुधवार को विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह की ओर से दाखिल रिपोर्ट में भी पहली रिपोर्ट वाली ही हकीकत को साफ तौर पर दोहराया गया है। इसके साथ ही बुधवार को हटाए गए अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्र ने अपनी आंशिक रिपोर्ट में कई दावे किए हैं। सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत के आदेश पर पूरी हुई कमीशन की कार्यवाही की रिपोर्ट में 26 साल पहले वाली हकीकत ही सामने आई है। आजादी के बाद से चल रहे ज्ञानवापी विवाद में यह तीसरी बार कमीशन की कार्यवाही पूरी हुई है। ज्ञानवापी परिसर में चल रहे विवाद में 26 साल पहले सिविल जज की अदालत में दर्ज एंसिएंट आइडल स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर व अन्य के वाद में पहली बार कमीशन की कार्यवाही का आदेश हुआ था। उस वक्त भी विशेष अधिवक्ता आयुक्त राजेश्वर प्रसाद सिंह ने हिंदू मंदिरों के भग्नावशेष मिलने का दावा किया था। इसके बाद राखी सिंह बनाम सरकार के वाद में सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश पर छह व सात मई 2022 को कमीशन की कार्यवाही की रिपोर्ट तत्कालीन अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र ने जमा की है। उन्होंने भी बैरिकेड के बाहर मंदिर के साक्ष्य का दावा किया है और अंदर दिखने के आधार पर कई बातों का जिक्र रिपोर्ट में किया है। कमीशन की कार्यवाही के बाद न्यायालय के आदेश पर सबकी निगाहें टिकी हैं। फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय की रोक के बाद अब 23 मई को होने वाली सुनवाई को अहम माना जा रहा है।