भोपाल । केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई आयुष्मान योजना भले ही गरीबों के लिये है, लेकिन सेहत अस्पतालों की सुधरी है। देश में मप्र इसकी नजीर बन कर सामने आया है। जहां गरीबों के इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों ने सरकार से करोड़ों की राशि वसूल ली है। आर्थिक लाभ के गणित में फंसे इन अस्पतालों की निम्नस्तरीय हरकत सामने आने के बाद विभाग भी हैरत में है। क्योंकि जांच के दायरे में आये 90 में घोटालेबाज निजी अस्पतालों की संख्या 50 पार कर गई हैं।
खास बात है कि प्रदेश भर में आयुष्मान योजना से संबद्ध 518 निजी अस्पतालों में 207 अकेले राजधानी में है। योजना में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए इनमें 90 अस्पतालों को जांच के दायरे में लिया गया। अधिकारियों को जानकर यह हैरानी हुई कि गरीबों के नाम पर इनमें 50 अपनी सेहत सुधारते हुए मिले हैं। विभाग का दावा है कि इनमें 12 अस्पतालों की मान्यता जहां आयुष्मान योजना से रद्द कर दी गई है। वहीं 2 अस्पताल संचालकों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण भी दर्ज कराया गया है। वैष्णो के इतर इसमें सर्वोत्तम अस्पताल भी शामिल हो गया है। जबकि 28 को नोटिस भेजा गया है। इनसे जबाव मिलते ही गुण-दोष के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही करीब 50 करोड़ रूपये का भुगतान जांच होने तक रोक दिया गया है। इसके अलावा 65 अस्पतालों से साढ़े पांच करोड़ रूपये की वसूली भी की गई है। यह बात अलग है कि विभाग की इस कवायद को अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत पर्याप्त नहीं मान रहा है। अधिकारियों और निजी अस्पताल संचालकों के गठजोड़ का नमूना बताते हुए घोटाला बताते हुए वह निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है।

बताये गये 137 में 135 ने इलाज ही नहीं कराया
गरीबों के इलाज के नाम पर अस्पतालों द्वारा अंजाम दी गई गड़बड़ी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उपचार के लिये भर्ती दिखाये गये 137 में 135 कभी इलाज के लिये भर्ती ही नहीं हुए। बावजूद इसके इनको भर्ती दिखाकर जांच और दवाईयों के नाम पर करोड़ों रूपये के बिल विभाग के पास भेज दिये गये। इस मामले में वैष्णों अस्पताल सबसे पहले पकड़ में आया।

पूरे प्रदेश के अस्पतालों की होगी जांच
इस गड़बड़ी को देखते हुए विभागीय अधिकारियों का दावा है कि अब प्रदेश के दूसरे जिलों में स्थित 311 अस्पतालों को भी जांच के दायरे में लिया जाएगा। इसकी तिथि फिलहाल बताई नहीं गई है। बावजूद इसके माना जा रहा है कि इसी महीने से यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

कोरोना कॉल में सबसे ज्यादा गड़बड़ी की आशंका
आयुष्मान योजना के क्रियांवयन के लिये पदस्थ अमला अस्पतालों की संख्या के मुकाबले कम माना जा रहा है। यही वजह है कि वर्ष 2018 से चल रही यह गड़बडी अब विभाग के पकड़ में आई है। जबकि कोरोना कॉल के दौरान वर्ष 2020-2021 के दौरान सबसे ज्यादा गड़बड़ी की आशंका है। क्योंकि इस अवधि में चिरायु, बंसल, पीपुल्स ही नहीं सिद्धांता से इतर एलबीएस जैसे अस्पताल को 12 करोड़ रूपये तक का भुगतान योजना के तहत किया गया है।