उज्जैन ।   उज्जैन में हर त्योहार सबसे पहले महाकालेश्वर मंदिर में मनाया जाता है, आज रक्षाबंधन पर्व पर भस्म आरती में सबसे पहले भगवान महाकाल को राखी अर्पित की गई। पुजारी परिवार की महिलाओं ने ही इमिटेशन रत्न जड़‍ित मोरपंखी यह राखी बनाई है। चार फीट की यह राखी शैव और वैष्णव परंपरा के समन्वय का प्रतिनिधित्व कर रही है। भगवान शिव भगवान श्रीकृष्ण के आराध्य हैं। इसीलिए भगवान महाकाल को मोरपंख की राखी बांधी गई है।

सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया

रक्षाबंधन पर भगवान महाकाल को राखी बांधने के बाद सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया। मान्यता है कि श्रावण माह में उपवास करने के बाद रक्षाबंधन के दिन महाकाल के अर्पित किए गए लड्डू प्रसाद लेकर उपवास का समापन होता है। बड़ी संख्या में भक्तों को प्रसाद मिल सके इसके लिए सवा लाख लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाया जाता है। आज दिनभर मंदिर में इन लड्डू प्रसाद का वितरण किया जाएगा। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से दो वर्ष से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में रक्षाबंधन पर्व प्रतीकात्मक रूप से मनाया जा रहा था। इस बार सभी इसे आंनदमय रूप से मना रहे हैं। इसी तारम्य में महाकाल मंदिर में भी रक्षाबंधन का त्योहार भव्य रूप से मनाया गया। मंदिर की परंपरा अनुसार श्रावण मास में जिस पुजारी परिवार की भस्म आरती हुई, श्रावणी पूर्णिमा पर उसी पुजारी परिवार द्वारा भगवान महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगाया गया है। इस बार श्रावण मास में पं.विजय पुजारी व समिति सदस्य पं.रामपुजारी के परिवार की भस्म आरती चल हुई। उन्हीं के द्वारा भक्तों के सहयोग से सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगाया गया। मंदिर में आकर्षक पुष्प तथा विद्युत सज्जा की गई है।