उदयपुर: पूरे गाजे-बाजे के साथ कांग्रेस पार्टी राजस्थान के झीलों के शहर उदयपुर में चिंतन शिविर में जुट गई है। इस बैठक में पार्टी को मजबूत करने से लेकर बदलाव को लेकर चर्चा होगी। कांग्रेस को खस्ताहाल स्थिति से निकालने के लिए टॉप लीडरशिप तीन दिन मंथन करेंगे। इस बैठक के जरिए कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं के साथ-साथ विपक्ष को भी बड़ा संदेश देने की कोशिश करेगी। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या झीलों के शहर में आयोजित इस बैठक में कांग्रेस की चिंता चिंतन शिविर से दूर होगी? पार्टी के अंदर विरोध से जूझ रही गांधी फैमिली के लिए ये शिविर इतना आसान नहीं होने वाला है। उसे बीजेपी के साथ-साथ पार्टी के भीतर के विरोध से भी लड़ना होगा।

मध्य प्रदेश, ​झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक के ये बड़े नेता रहेंगे मौजूद
मध्य प्रदेश से कमलनाथ, गोविंद सिंह, दिग्विजय सिंह, नकुल नाथ रहेंगे. झारखंड से सुबोध कांत सहाय, राजेश ठाकुर, आलमगीर आलम, धीरज साहू रहेंगे. बिहार से मदनमोहन झा, अजीत शर्मा, जावेद अहमद, और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार रहेंगी. महाराष्ट्र से अशोक चवन, बालासाहेब थोरात, नाना पटोले, रजनी पाटिल और प्रणीति शिंदे रहेंगी. कर्नाटक से डीके शिवकुमार, सिद्धारमैया, मल्लिकार्जुन खड़गे, डीके सुरेश, बीके हरिप्रसाद चिंतन शिविर का हिस्सा बनेंगे.

सोनिया गांधी के संबोधन से होगी शुरूआत
उत्तराखंड से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, करण महारा, यशपाल आर्य, अजय टमटा रहेंगे. पंजाब से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजा अमरिंदर सिंह वारिंग, प्रताप सिंह बाजवा, रवनीत बिट्टू, मनीष तिवारी शामिल रहेंगे. इससे पहले शुक्रवार सुबह 7:50 बजे ट्रेन उदयपुर पहुंची, जिसमें राहुल गांधी, भूपेश बघेल, जितेंद्र सिंह सहित करीब 76 नेता सवार थे. सुबह 10:30 बजे कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी. चिंतन शिविर की शुरुआत 13 मई को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संबोधन के साथ होगी.

राहुल गांधी 15 मई को समापन सत्र में बोलेंगे
इसके बाद 6 अलग-अलग समूहों में नेतागण चर्चा करेंगे और फिर इससे निकले निष्कर्ष को ‘नवसंकल्प’ के रूप में कांग्रेस कार्य समिति 15 मई को मंजूरी देगी. राहुल गांधी 15 मई को चिंतन शिविर को संबोधित करेंगे. इस तीन दिवसीय विचार मंथन सत्र के बाद जो ‘नवसंकल्प’ दस्तावेज जारी होगा, वह कांग्रेस पार्टी के पुनरुद्धार के लिए आगे के कदमों की घोषणा (एक्शनेबल डिक्लियरेशन) होगी. इसमें यह संदेश भी दिया जाएगा कि राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन के लिए ‘मजबूत कांग्रेस’ का होना जरूरी है.

छह अलग-अलग समूहों में 430 नेता चर्चा करेंगे
चिंतन शिविर में राजनीति, सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण, अर्थव्यवस्था, संगठन, किसान एवं कृषि तथा युवाओं से जुड़े विषयों पर 6 अलग-अलग समूहों में 430 नेता चर्चा करेंगे, यानी हर समूह में करीब 70 नेता शामिल होंगे. कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘आज, जब देश प्रजातांत्रिक, आर्थिक और सामाजिक ‘संक्रमणकाल’ के दौर से गुजर रहा है, तब कांग्रेस एक बार फिर देश को प्रगति, समृद्धि और उन्नति के पथ पर लाने के लिए एक ‘नव संकल्प’ की दृढ़ प्रतिज्ञा ले रही है.’

गांधी फैमिली के करिश्मा का क्या होगा?
देश में इस वक्त महंगाई और रोजर्मरा की चीजों के बढ़ते दामों से लोग हलकान हैं। इस तरह के मौके किसी भी विपक्षी दलों के लिए सत्ता पक्ष को घेरने का एक बड़ा मौका होता है। लेकिन इन सबके बाद भी असलियत ये है कि कांग्रेस जबतक अपने कोर मुद्दे का हल नहीं निकालती तबतक वह इसपर मजबूती के साथ आगे नहीं बढ़ सकती है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी से टकराने के लिए कांग्रेस न केवल खुद आगे बढ़ना होगा बल्कि विपक्षी दलों के साथ साझेदारी को लेकर भी देखना होगा। कांग्रेस को अपनी लीडरशिप पर उठे भंवर पर गंभीर चिंतन करने की जरूरत है। 2014 चुनावों से गांधी-वाड्रा लीडरशिप का करिश्मा धूमिल ही हुआ है।


पार्टी को नुकसान, पर बदला कुछ नहीं
कांग्रेस में पिछले तीन साल से कोई चुनी हुई लीडरशिप नहीं है क्योंकि राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव में हार के बाद अध्यक्ष पद छोड़ दिया था। इसके बाद से भले ही कांग्रेस को नुकसान हुआ हो लेकिन यथास्थिति ही बनाए रखी गई है।