भोपाल । प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव का घमासान चरम पर पहुंचने लगा है। पौ फटते ही भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के साथ ही दिग्गज नेता प्रचार के मोर्चे पर तैनात हो हो जाते हैं। भाजपा जहां विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है, वहीं कांग्रेस ने महंगाई को मुद्दा बना लिया है। हर रैली, सभा और बैठक में भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज चुनाव प्रचार में पूरी ताकत से उतर गए हैं। भाजपा से एक बार फिर हमेशा की तरह स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान है तो कांग्रेस से पूर्व उपमुख्यमंत्री कमलनाथ रोड शहर सरकार के शो कर रहे हैं। अमूमन नगरीय निकाय चुनाव स्थानीय मुद्दों पर होते हैं और इसमें सड़क, बिजली, पानी जैसे मुद्दे हावी रहते हैं, पर इस बार दिलचस्प यह है कि चुनाव से स्थानीय मुद्दे गायब हैं। कांग्रेस जहां महंगाई और भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बना रही है तो भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव और उपचुनावों की तर्ज पर अपने विकास को जनता के सामने रख वोट मांग रही है।

कांग्रेस को बड़ी उम्मीद
मतदान अब बेहद करीब है। 9 दिन बाद करीब सोलह नगर निगमों के मेयर समेत करीब साढ़े हजार पार्षदों का भाग्य मतपेटियों में कैद हो जाएगा। पिछली बार नगरनिगम के मेयर चुनाव में खाली हाथ रहने वाली कांग्रेस ने इस बार काफी सोच समझ कर प्रत्याशी उतारे हैं। जहां उसे ठीक प्रत्याशी नहीं  मिला वहां उसने विधायकों पर दांव खेला तो जीत की संभावना को देखते हुए विधायक और पूर्व विधायक की पत्रियों को भी टिकट देने से संकोच नहीं किया वह इस बार मेयर चुनाव में कम से कम आधा दर्जन स्थानों पर जीत दर्ज करना चाहती है ताकि विधानसभा चुनावों से पूर्व उसके कार्यकर्ताओं में उत्साह और नई ऊर्जा का संचार हो सके। लिहाजा उसके नेता इन चुनावों में पूरी तरह एकजुट दिख रहे हैं।

दिग्विजय सिंह भी मोर्चे पर
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जहां टिकट कटने से नाराज नेताओं के घर-घर जाकर उन्हें मना रहे हैं तो कमलनाथ लगातार शहरों में रोड शो कर भाजपा पर निशाना साध रहे हैं। वे महंगाई, कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर तो बोल ही रहे हैं। 15 महीने बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने का दावा भी कर रहे हैं। जाहिर है उनके इस दावे का सियासी अर्थ अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरना है।

शिवराज भाजपा के स्टार प्रचारक
 मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भाजपा के फिर स्टार प्रचारक हैं। लगभग सभी बड़े शहरों में पहले उन्होंने मेयर प्रत्याशियों के खुद जाकर नामांकन भरवाए और अब पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में रोड शो और लगातार सभाएं भी कर रहे हैं। सीएम अपनी सभाओं में केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाएं गिना रहे हैं तो किस शहर में भाजपा ने पिछले डेढ़ दशक से अधिक समय में क्या किया, वे इसका भी हिसाब जनता को दे रहे हैं। 15 महीने के कांग्रेस शासन पर भी हमेशा की तरह जमकर प्रहार कर रहे हैं। सीएम के साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा भी अपनी सभाओं में विकास को ही मुद्दा बना रहे हैं। भाजपा जनता के बीच इस बात को स्थापित करने का प्रयास कर रही है कि केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं से समाज के हर वर्ग को कुछ न कुछ मिल रहा है। विकास के अलावा भाजपा नेता किसी अन्य मुद्दे को छू भी नहीं रहे हैं।

आप ने भ्रष्टाचार को बनाया मुद्दा
भाजपा के अलावा इस बार आम आदमी पार्टी ने भी शहर सरकार के चुनावों में एंटी मारी है। उसने आधा दर्जन शहरों में मेयर के प्रत्याशी खड़े किए हैं तो प्रदेश के हर छोटे बड़े शहर में कम वाडों पर ही सही पर उसके प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। चुनाव परिणाम आप को उसकी ताकत का अहसास कराएंगे। आप भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रही है। बसपा और सपा ने भी प्रत्याशी उतारे हैं पर उनका असर सीमित इलाकों में ही देखने को मिल रहा है। इन दलों का कोई बड़ा नेता भी चुनाव प्रचार के लिए मध्यप्रदेश नहीं आ रहा है। भाजपा का विकास का मुद्दा कितना कारगर रहता है यह चुनाव परिणाम में सामने आएगा। चुनाव प्रचार में अब तक राजनीति के लिए संतोष की बात यह है कि दोनों दल भाजपा हो या कांग्रेस इस बार इसके नेता भाषा के संयम को खो नहीं रहे हैं और ओछे आरोप एक दूसरे पर नहीं लगा रहे हैं।