प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दी जाने वाली जीवन रक्षक दवाओं की सूची को नए सिरे से जारी किया गया है। 2023 में जारी इस सूची में सरकार ने कुल 611 दवाओं को शामिल किया है।

जानकारी के अनुसार, बिहार में 2006 में जब आवश्यक दवाओं की सूची बनाई गई, उस वक्त इसमें मात्र 47 प्रकार की दवाओं को शामिल किया गया। अब दवाओं की जो नई सूची जारी की गई, उसमें कुल 611 प्रकार की दवाओं को शामिल किया गया है।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 2006 से लेकर 2023 के बीच छह बार आवश्यक दवाओं की सूची को संशोधित किया गया है। 2023 के लिए बनी सूची में 224 नई दवाओं को शामिल किया गया है। इसमें कैंसर, किडनी, मानसिक रोग की दवाएं भी शामिल की गई हैं।

स्वास्थ्य विभाग के दवाओं की सूची को संशोधित करने के बाद राज्य सरकार ने गुरुवार को नए सिरे से आदेश जारी किया। जिसके तहत निर्देश दिए गए कि अस्पतालों में दी जाने वाली दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखें। इसके साथ समय-समय पर जिन दवाओं की उपलब्धता कम हो गई है, उनकी मांग करें। जिससे अधिक से अधिक मरीजों को मुफ्त दवाएं वितरित करने में समस्या न आए।

2006 में राज्य सरकार ने सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवाएं वितरित करने की प्रक्रिया शुरू की थी। प्रारंभिक दौर में 2006 से लेकर 2008 के बीच अस्पतालों में कुल 47 प्रकार की दवाएं मरीजों को मुफ्त दी जाती थी। तीन साल के बाद 2009 में दवाओं की सूची को संशोधित किया गया और पहले की दवाओं की सूची में 146 दवाओं को शामिल किया गया। इसके बाद 2011, 2019, 2020 और अब 2023 में इस सूची को नए सिरे से अपडेट किया गया है।

स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार सिंह बताते हैं कि समय-समय जीवन रक्षक दवाओं की सूची संशेाधित और अद्यतन की जाती है। सरकार का मकसद स्पष्ट है कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों के साथ ही ओपीडी में आने वाले मरीजों को अस्पतालों में मुफ्त दवाएं मिल सकें। जिससे मरीजों को महंगी दवाओं का बोझ न उठाना पड़े।

उन्होंने कहा कि आवश्यक दवाओं की सूची को एक बार फिर संशोधित किया गया है। साथ ही सभी अस्पताल प्रबंधन को निर्देश दिए गए हैं कि मरीजों को दवाओं के लिए भटकना न पड़े। ओपीडी या भर्ती मरीजों के तय नियमों के मुताबिक दवाओं की आपूर्ति की जाए।