नई दिल्ली । देश में ‘मुफ्तखोरी की संस्कृति’ को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरुण गांधी काफी गंभीर आक्रामक अंदाज में हैं उन्होंने कहा कि आम जनता को मिलने वाले मुफ्त की सुविधाओं पर सवाल उठाने से पहले क्यों न चर्चा की शुरुआत सांसदों को मिलने वाली पेंशन और अन्य सभी सुविधाओं को खत्म करने से हो। भाजपा नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा ‘मुफ्तखोरी की संस्कृति’ समाप्त किए जाने के बारे में राज्यसभा में चर्चा की मांग किए जाने संबंधी नोटिस का उल्लेख करते हुए वरुण ने एक ट्वीट में कहा कि जनता को मिलने वाली राहत पर ऊंगली उठाने से पहले ‘हमें अपने गिरेबां’ में जरूर झांक लेना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘क्यों न चर्चा की शुरुआत सांसदों को मिलने वाली पेंशन समेत अन्य सभी सुविधाएं खत्म करने से हो?’
एक ट्वीट में वरुण गांधी ने पिछले पांच सालों में बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों द्वारा सिलेंडर दोबारा न भरवाने का मुद्दा उठाया और कहा कि पिछले पांच सालों में 4.13 करोड़ लोग सिलेंडर को दुबारा भरवाने का खर्च एक बार भी नहीं उठा सके, जबकि 7.67 करोड़ ने इसे केवल एक बार भरवाया। उन्होंने कहा, ‘घरेलू गैस की बढ़ती कीमतें और नगण्य सब्सिडी के साथ गरीबों के ‘उज्जवला के चूल्हे’ बुझ रहे हैं। स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन देने के वादे क्या ऐसे पूरे होंगे?’ पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने एक अगस्त को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया था कि पिछले पांच सालों में पीएमयूवाई के 4.13 करोड़ लाभार्थियों ने एक बार भी सिलेंडर रिफिल नहीं कराया जबकि 7.67 करोड़ लाभार्थियों ने एक ही बार सिलेंडर भरवाया।
बता दें कि हाल ही में जब सरकार ने अग्निपथ योजना का ऐलान किया था तब भी वरुण गांधी ने अग्निवीरों के समर्थन में अपनी पेंशन को छोड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि अगर कम समय की सेवा करने वाले राष्ट्ररक्षकों को पेंशन का अधिकार नहीं है, तो मैं भी पेंशन छोड़ने के लिए तैयार हूं। भाजपा सांसद वरुण गांधी ने ट्वीट किया, अल्पावधि की सेवा करने वाले अग्निवीर पेंशन के हकदार नहीं हैं तो जनप्रतिनिधियों को यह सहूलियत क्यूं? राष्ट्ररक्षकों को पेंशन का अधिकार नहीं है, तो मैं भी खुद की पेंशन छोड़ने को तैयार हूं। क्या हम विधायक-सांसद अपनी पेंशन छोड़ यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि अग्निवीरों को पेंशन मिले?