रायपुर नगर निगम सीमा क्षेत्र आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। दरअसल कोरोना संकटकाल के दौरान शहर के हर गली-मोहल्लों और सड़कों पर घूम रहे आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए नगर निगम प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। यहां तक की कुत्तों की नशबंदी के साथ धरपकड़ अभियान तक बंद रहा। इसके कारण कुत्तों की संख्या में इजाफा हुआ है।

निगम के अधिकारियों का दावा है कि रोज औसतन 15 से 20 कुत्तों को निगम के प्रशिक्षित टीम पकड़ रही है। पिछले पांच साल में 15 हजार 438 कुत्तों की नशबंदी की जा चुकी है। अकेले बीते साल 2021 में 3861 कुत्तों नशबंदी की गई है।बावजूद इसके शहर में कुत्तों के हमला जारी है। बच्चे, बुजुर्ग कुत्तों के निशाने पर रहते है।जनप्रतिनिधियों का कहना है कि नगर निगम प्रशासन की बेरुखी के चलते लगातार कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है और लोग कुत्ते के हमले का शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे है।

रात होते ही सड़क किनारे रहने वाले आवारा कुत्ते काफी हिंसक हो जाते हैं, जो बाकायदा झुंड बनाकर आने जाने वाले लोगों को दौड़ते है और मौका मिलते ही पैदल चलने वाले, साइकिल और बाइक सवार को अपना शिकार बना लेते हैं।कुत्तों का सबसे अधिक आतंक पुरानी बस्ती, कैलाशपुरी, बूढ़ा तालाब सड़क किनारे, सुंदरनगर, टिकरापारा, संतोषीनगर, पचपेढ़ी नाका, काली मंदिर आकाशवाणी चौक, कटोरातालाब रोड, कोतवाली रोड, कंकाली तालाब रोड, श्यामनगर, पंडरी, अनुपमनगर, शंकरनगर, खमतराई, बिरगांव, उरला, आमानाका आदि स्थानों पर बना हुआ है।लोग रात के समय इन रास्तों से होकर गुजरने से डरते है।

शहर में कुत्ते काटने के रोज करीब 40 मामले अलग-अलग अस्पतालों में आते है।सरकारी अस्पताल का रिकार्ड 20 से 25 है लेकिन निजी अस्पताल में कुत्ते काटने के पहुंचने वाले मामलों के कोई भी रिकार्ड नहीं है,जबकि शहरी क्षेत्र में 250 से ज्यादा छोटे-बड़े नर्सिंग होम,क्लीनिक हैं।यहां रोजाना ओपीडी चलती है और रोज कुत्ते काटने के मामले पहुंच रहे हैं।

जनसंख्या कर रहे नियंत्रित- नगर निगम के अफसरों ने बताया कि कोरोना काल के पहले शहरी क्षेत्र में कुत्तों की करीब पचास हजार संख्या थी। अभियान चलाकर धरपकड़ के साथ नशबंदी करने से कुत्तों की संख्या नियंत्रित किया गया।इससे कुत्तों की संख्या में कमी आई है।फिलहाल शहर के 70 वार्डों में करीब 40 हजार कुत्ते होने का अनुमान है।यह भी पढ़ें

नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी विजय पांडेय ने बताया कि साल 2028 में अनुपमनगर में एक बच्ची पर कुत्तों के हमले की घटना के बाद शासन ने बैरनबाजार हिंदू हाईस्कूल के पास स्थित एनिमल बर्थ कंट्रोल(पशु चिकित्सालय) में दो डाक्टरों की प्रतिनियुक्ति पर पदस्थापना की है। ये डाक्टर अवारा कुत्तों की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए नशबंदी करते है।अस्पताल में सुसज्जित आपरेशन थियेटर की व्यवस्था है। पहले यह काम निविदा के जरिए कराया जाता था, अब निगम प्रशासन ने खुद ही कुत्तों की धरपकड़ करने पांच लोगों की एक्सपर्ट टीम बनाई है।यह टीम टाटा एस वाहन लेकर सड़क पर घूमने वाले अवारा कुत्तों को जाल में फंसाकर अस्पताल लेकर आते है फिर वहां नशबंदी की जाती है।

जिला प्रशासन ने बनाई है योजना- शहर में आवारा कुत्तों की जनसंख्यां को नियंत्रित करने जिला प्रशासन के साथ मिलकर योजना बनाई गई है।जल्द ही अभियान चलाकर कुत्तों की धर पकड़ तेज की जायेगी, ताकि उनका आतंक कम हो सके।