छत्तीसगढ़ के जांजगीर स्थित मड़वा पावर प्लांट में हुए उपद्रव के बाद प्रशासन सख्त हो गया है। पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। इसके लिए रायगढ़ और बिलासपुर से भी पुलिस फोर्स मंगवाई गई है। वहीं इस मामले में पुलिस ने 400 उपद्रवियों पर 5 अलग-अलग FIR दर्ज की है। इसमें से 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। अन्य उपद्रवियों की तलाश की जा रही है। कल के हंगामे के बाद अब प्रशासन किसी नरमी के मूड में नहीं है।

जिले के मड़वा, तेंदूभांठा में अटल बिहारी ताप विद्युत गृह में रविवार शाम को हुई तोड़फोड़ और पुलिसकर्मियों पर पथराव के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। 29 दिनों से नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे भू विस्थापितों ने रविवार शाम को हंगामा शुरू कर दिया था। उन्होंने कार और 4-5 बाइक में आग लगा दी और प्लांट में जमकर तोड़फोड़ की। पुलिसकर्मियों पर भी पथराव किया। हमले में 20-25 पुलिसकर्मियों चोंटें आई हैं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं।

पुलिस और प्रशासन ने भूविस्थापित संविदा कर्मियों के कार्यस्थल और उनके मुख्यालयों से संपर्क किया है। उनकी गैरहाजिरी को ही कार्रवाई का बेसलाइन बनाया जाएगा। जो संविदाकर्मी अपने कार्यक्षेत्र में अनुपस्थित मिलेगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं स्थानीय स्तर पर भी उपद्रवियों का डाटा खंगाला जा रहा है। उपद्रव में प्रशासन की छवि धूमिल होने के साथ ही दर्जनों पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।

बातचीत से पहले ही भड़की उपद्रव की आग-आंदोलनकारियों ने 1 जनवरी से प्लांट के सामने प्रदर्शन शुरू किया था। प्रदर्शन में महिलाएं भी शामिल हैं। इस बीच रविवार को प्रशासनिक अधिकारी और आंदोलनकारियों के बीच में बातचीत होनी थी। पहले राउंड की बातचीत हुई भी थी, पर विफल रही। इसके बाद शाम 5 बजे से सीनियर अधिकारियों के साथ आंदोलनकारियों की बातचीत होनी थी। आंदोलनकारियों का 10 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल अंदर भी जा चुका था। इससे पहले ही बवाल हो गया।

प्लांट के लिए 2008 में जमीन अधिग्रहण शुरू हुआ। 2015-16 से यहां एक हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू हो गया है। उस दौरान मड़वा, तेंदूभांठा के लोगों को वादा किया गया था कि उन्हें यहां नौकरी दी जाएगी। जिसके बाद बहुत से लोगों को काम पर भी रखा गया। करीब 400 लोग ऐसे थे, जिन्हें संविदा नियुक्ति दी गई और उन्हें अलग-अलग जिलों में नियुक्ति दी गई। कई ऐसे भी ग्रामीण हैं, जिनका कहना है कि उनकी जमीन ले ली गई, लेकिन नौकरी नहीं दी गई। नौकरी देने और स्थायी करने की मांग को लेकर ग्रामीण 6 दिसंबर से जांजगीर के कचहरी चौक में प्रदर्शन कर रहे थे।