उत्तर प्रदेश के बांदा में केन और यमुना नदी के उफान पर होने के बावजूद प्रशासन सचेत नहीं हुआ। पिछले वर्षों नाव पलटने वाली घटनाओं से भी कोई सबक नहीं लिया। गोताखोरों की व्यवस्था भी नहीं की गई। गुरुवार को प्रशासन की लापरवाही भारी पड़ गई। 50 लोगों से भरी नाव पलट गई। इसमें तीन की मौत हो गई। 32 अभी भी लापता हैं। तीन शव बरामद किए हैं। नाव में तीन बाइकें और छह साइकिलें भी रखी थीं।हालांकि प्रशासन 17 लोगों के लापता होने की बात स्वीकार कर रहा है। 15 लोग तैरकर बाहर आ गए। बता दें कि मई में डीएम ने बाढ़ की तैयारियों से संबंधित बैठक में निर्देश दिए थे। इसका भी कहीं पालन नहीं किया गया। नदी घाटों पर नाव व स्टीमर आदि व्यवस्था नहीं की गई और न ही जलस्तर बढ़ने पर कोई चेतावनी बोर्ड लगाया गया।

जनपद केन व यमुना नदी पार कर सैकड़ों लोग आते जाते हैं। 1995 में इसी मर्का क्षेत्र में यमुना नदी पर नाव पलटने से छह लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, 2019 में खप्टियां में केन नदी में नाव पलटने से पांच लोग डूब गए थे, जिसमें नाविक सहित दो लोगों को बचा लिया गया था, तीन की मौत हो गई थी। इसके बाद भी नाव पलटने की कई छोटी छोटी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन अफसरों ने कोई सबक नहीं लिया।