जयपुर। राजस्थान में सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं पर फिर फ्यूल सरचार्ज का बोझ डाल दिया गया है। उपभोक्ता को अगस्त और सितंबर में जारी होने वाले बिल में 24 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज की अतिरिक्त राशि देनी होगी। डिस्कॉम्स ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। इसके जरिए बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से करीब 350 करोड़ रुपए वसूलेगी। सत्ताधारी कांग्रेस सरकार में फ्यूल सरचार्ज के रूप में अब तक उपभोक्ताओं पर औसतन 48 पैसे प्रति यूनिट अतिरिक्त भार आ चुका है।
  पिछले वर्ष जुलाई से सितंबर तक फ्यूल खरीद दर में आए अंतर के आधार पर सरचार्ज की गणना की गई है। सरकार की ओर से कुछ माह पहले बिलों में छूट लागू की गई थी। इसमें 50 यूनिट तक उपभोग करने वाले उपभोक्ता के बिल शून्य आ रहे हैं। अभी इनसे भी सरचार्ज लिया जाएगा। वहीं 15.70 लाख कृषि उपभोक्ताओं की सरचार्ज राशि को सरकार वहन करेगी। बिजली विभाग का तर्क है कि बिजली उत्पादन के दौरान जो फ्यूल (ईंधन) की खरीद दर होती है और अनुबंध में जो दर निर्धारित है उनकी अंतर राशि ही फ्यूल सरचार्ज है। इसका निर्धारण कोयला, डीजल और परिवहन खर्च के आधार पर किया जाता है। दूसरी तरफ हकीकत यह है कि ईमानदार बिजली उपभोक्तओं पर इसका सीधा भार पड़ रहा है। क्योंकि बिजली चोरी करने वालों से होने वाली हानि की गणना भी इसी चार्ज में शामिल होती है।​
  उल्लेखनीय है कि राजस्थान उन राज्यों में शामिल है जहां बिजली सर्वाधिक महंगी है। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद बिजली छीजत का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है। पिछले दिनों राजस्थान बिजली संकट के मुहाने पर आ गया था। उसके चलते भीषण गर्मी के समय राजस्थान में गांव-ढाणी से लेकर बड़े शहरों तक में घोषित कटौती करनी पड़ी थी। उसके बाद भी अघोषित कटौती चलती रही थी। अब फ्यूल सरचार्ज के नाम पर करोड़ों उपभोक्ताओं को अतिरिक्त राशि देनी होगी। इससे उपभोक्ताओं का बिजली का बिल बढ़ जायेगा। इससे बढ़ती महंगाई में आम आदमी कमर और टूटेगी।