भोपाल । वित्तीय वर्ष 2021-22 में ही बिजली उत्पादन कमजोर होने से करीब 1500 करोड़ रुपये की क्षति कंपनी प्रबंधन को हुई। तय लक्ष्य से आधी बिजली भी ज्यादातर इकाईयों से पैदा नहीं हुई। बिजली ताप गृहों पर करोड़ों रुपये रखरखाव पर खर्च करने के बावजूद उत्पादन की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के बिजली ताप गृहों की गिरती सेहत से ऊर्जा मंत्री भी चिंतित हैं। ऐसे में ऊर्जा मंत्री ने विभागीय समीक्षा में तय किया है कि ताप गृहों की जिम्मेदारी सम्हालने वाले मुख्य अभियंताओं को प्रदर्शन सुधार के लिए स्वघोषणा पत्र देना होगा। जिसका प्रदर्शन बेहतर नहीं हुआ उसका तबादला कर अधिनस्थ को जवाबदेही सौंपी जाएगी। बिजली कंपनी ने 4670 मेगावाट क्षमता के निर्धारित लक्ष्य को हासिल नहीं किया। इस वजह से मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी को 1500 करोड़ रुपये नियत प्रभार के तौर पर नुकसान उठाना पड़ा। इधर मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी को कम उत्पादन की भरपाई के लिए एनटीपीसी और अन्य निजी ताप गृहों से महंगी बिजली खरीदकर भरपाई करनी पड़ी। विद्युत नियामक आयोग इकाईयों की कुल क्षमता 85 से 80 फीसद उत्पादन क्षमता तय करती है। नई इकाईयों के लिए 85 फीसद तथा पुरानी इकाईयों के लिए 80 फीसद उत्पादन तय किया गया है।ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने 24 मार्च 2022 को हुई समीक्षा बैठक में साफ कहा है कि मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के प्रबंध संचालक विद्युत ताप गृहों के मुख्य अभियंता के साथ अनुबंध करे जिसमें उनका प्रदर्शन छह माह में बेहतर होगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो संबंधित ताप गृह के मुख्य अभियंता का स्थानांतरण कर दिया जाएगा। इस बारे में  मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी वर्ष 2021-22 में जहां नियत प्रभार के तौर पर 1500 करोड़ रुपये की वित्तीय नुकसान हुआ है। वहीं दूसरी तरफ मप्र विद्युत नियामक आयोग के निर्धारित मानकों का पालन नहीं करने की वजह से प्रति यूनिट कोयले की खपत मानक से अधिक हुई है। इसके अलावा सहायक उपकरणों पर लगने वाली बिजली व तेल की खपत भी बढ़ी। जिस पर ऊर्जा मंत्री ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए सुधार के निर्देश दिए हैं। वहीं मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के ओएंडएम ईडी बीएल नेवल का कहना है कि ऊर्जा मंत्री से मिले निर्देशों का पालन किया जा रहा है। ताप गृहों की क्षमता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। कोयले की कमी की वजह से उत्पादन प्रभावित हुआ था उसे भी पूरा किया जा रहा है। अब हम बेहतर उत्पादन कर रहे हैं।