जयपुर ।  राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के तत्वावधान में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2022 की तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत का प्रदेश के समस्त अधीनस्थ न्यायालयों के साथ-साथ राजस्व न्यायालयों, उपभोक्ता मंचों एवं अन्य प्रषासनिक अधिकरणों, आयोगों व मन्चों में आयोजन किया गया। वर्ष की इस तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत में सम्पूर्ण प्रदेश में कुल 13,56,243 प्रकरणों का लोक अदालत की भावना से जरिए राजीनामा निस्तारण किया गया। राजीनामे के माध्यम से निस्तारित प्रकरणों में कुल 8,03,90,29,399/- रुपये के अवार्ड पारित किए गए। इस राष्ट्रीय लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन मामलों के तहत् धन वसूली के प्रकरण, टेलीफोन, बिजली व पानी के बिल से संबंधित प्रकरणों को रखा गया था। इसी प्रकार न्यायालय में लंबित राजीनामा योग्य फौजदारी प्रकरण, धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम (एनआई एक्ट) के प्रकरण, धन वसूली के प्रकरण, एम.ए.सी.टी. के प्रकरण, श्रम एवं नियोजन संबंधी विवाद एवं कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के प्रकरण, पारिवारिक विवाद, वैवाहिक विवाद (तलाक को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण के मुआवजे से संबंधित प्रकरण, सर्विस मैटर्स, राजस्व मामले, वाणिज्यिक विवाद आदि राजीनामा योग्य सिविल एवं फौजदारी प्रकरण रखे गये। साथ ही यह राष्ट्रीय लोक अदालत भारत की पहली पूर्ण डिजीटल लोक अदालत रही, जिसमें भारत के पहले ए. आई. पावर्ड, आधुनिक डिजीटल लोक अदालत प्लेटफॉर्म, जो ज्यूपिटाईस जस्टिस टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर तैयार किया गया है तथा इसका उद्घाटन जयपुर, राजस्थान में आयोजित 18वीं अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बैठक के दौरान 17 जुलाई को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के माननीय कार्यकारी अध्यक्ष यू. यू. ललित, वरिष्ठ न्यायाधिपति, उच्चतम न्यायालय द्वारा किया गया था, को सफलतापूर्वक उपयोग में लिया गया।न्यायाधिपति एम.एम. श्रीवास्तव, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति, राजस्थान उच्च न्यायालय, मुख्य संरक्षक एवं कार्यकारी अध्यक्ष, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार राष्ट्रीय लोक अदालत में इस बार 10 लाख रूपए तक की चैक राशि के चैक अनादरण संबंधी प्रकरणों एवं बैंक रिकवरी मैटर्स के संबंध में विशेष अभियान चलाया जाकर 02 चरणों में प्री-काउंसलिंग एवं डोर स्टेप काउंसलिंग करवाई गई थी, जिसका प्रथम चरण 27 जून से 8 जुलाई व द्वितीय चरण 1 अगस्त 2022 से 6 अगस्त 2022 के दौरान आयोजित किया गया। साथ ही फौजदारी प्रकरणों में समझाईश का विशेष अभियान चलाया गया एवं प्रत्येक न्यायालयों द्वारा प्रतिदिन लगभग 50 प्रकरणों में समझाइश की गई।