दिल्ली . विश्व प्रसिद्ध द‍िल्‍ली यून‍िवर्स‍िटी (Delhi University) की स्‍थापना के 100 वर्ष पूरे हो चुके. कार्यक्रम के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय की तमाम उपलब्धियों पर चर्चा हुई. आजादी से लेकर अब तक इस यूनिवर्सिटी से निकले छात्र, देश और दुनिया की महत्वपूर्ण स्थानों पर बैठे हैं. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए DU वीसी योगेश सिंह ने कहा कि शिक्षा और सेवा के 100 वर्ष पूरे हुए हैं. इन 100 सालों में यूनिवर्सिटी ने काफी कुछ हासिल किया है. क्वालिटी और रिसर्च में डीयू ने देश विदेश में प्रसिद्धि हासिल की है. यूनिवर्सिटी के शताब्दी अवसर पर प्रशासन ने महत्वपूर्ण फैसला लिया. जिसमें डिग्री न पूरी कर पाने वाले छात्रों को एक बार फिर से मौका दिया गया. अब तक 1560 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. रजिस्ट्रेशन करवाने वाले सबसे पुराना कैंडिडेट 1989 बैच का है.
आइडिया ऑफ इंडिया को लेकर गृहमंत्री ने तमाम परिपेक्ष्य पर बात की. गृहमंत्री ने कहा कि परिवर्तन के विचार और कल्पना का वाहक विश्वविद्यालय ही होता है. 100 साल में इस विश्वविद्यालय ने अपनी गौरव परंपरा हमेशा बढ़ाई है, प्रासंगिकता बनाए रखी है. यहां से शिक्षा हासिल किए लोगों ने देश के लिए महान कार्य किए, बड़े पदों पर बैठे, यहां से तमाम आंदोलनकारी निकले. देश के आंदोलन का साक्षी रहा है. सेमिनार का थीम स्वराज से न्यू इंडिया एक महत्वपूर्ण विषय है, एक मणि कंचन योग है. एक तरफ देश के आजादी का 75वां अमृत महोत्सव और दूसरी तरफ डीयू का शताब्दी वर्ष. अमृत काल के 75 से 100 साल की यात्रा हमारे लिए महत्वपूर्ण है. ये संकल्प का वर्ष है और संकल्प सिद्धि की यात्रा है. गृहमंत्री के मुताबिक सेमिनार में तमाम ऐसे विषयों पर चर्चा होगी जो देश को दिशा देने वाले हैं.
गृहमंत्री ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि स्वराज शब्द की व्याख्या आजादी के बाद अलग-अलग तरीके से की गई, इसकी व्याख्या सिर्फ शासन व्यवस्था तक की गई. मगर ये यहीं तक सीमित नहीं. हमारे स्वराज की कल्पना, व्याख्या कुछ और है. इस पर पुनर्विचार जरूरी है. स्वराज की व्याख्या में स्वधर्म, स्वधर्म और देश का हित अपने आप ही आता है. हमें इसकी गलत व्याख्या की दिशा बदलने की जरूरत है. स्वराज से नवभारत का संपूर्ण अर्थ राष्ट्र की उन्नति है. सभी अर्थों को समाहित करने की आवश्यकता है. कुछ लोगों को भारत पर चर्चा करने से पहले भारत का अर्थ जानना जरूरी है.